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The Train... beings death 34


चिंकी ट्रेन के पहले स्टेशन पर धोखे से उतर गई थी। चिंकी को वहाँ एक गिलहरी चीकू मिली जो उसे उनके राजा देव के पास ले गई। देव से चिंकी ने बहुत से सवाल पूछे थे जिनके ज़वाब देव ने थोड़ी देर नहीं दिए थे।

"आपने यहां पर कुछ अजीब से जानवरों को देखा है.. जिनके 3 सर और बंदरों जैसे हाथ पैर थे?" चिंकी ने पूछा।

चिंकी के सवाल पर सभी लोग घबरा गए थे। तभी देव ने दुःखी स्वर में कहा, "हां..! हमने देखा है। उन्हीं की वजह से तो हम लोग यहां रहते हैं।"

"क्या हुआ था? आप बता पाएंगे??" चिंकी ने पूछा।

देव ने वहां उपस्थित सभी को उनके घर जाने के लिए कहा और चिंकी और चीकू को अपने साथ उसी नीले सुनहरे पेड़ में बने अपने घर ले गए। उस पेड़ के अंदर जाने पर एक बहुत बड़ा हाॅल था.. जिसमें बहुत ही अच्छी सजावट की गई थी। वहां पर चार पांच कुर्सियां रखी थी.. बीच में एक बड़ी सी टेबल रखी थी। दीवार पर बहुत ही सुंदर चित्र बनाए गए थे। वह हॉल उन लोगों के हिसाब से काफी ऊंचा था लेकिन चिंकी की ऊंचाई उन सब से बहुत ज्यादा थी इसलिए हॉल की छत चिंकी के सर से बस थोड़ी सी ही ऊंची थी। कुर्सियां उन लोगों के बैठने की हिसाब की थी। चिंकी उस पर बैठ ही नहीं सकती थी।

 देव ने चिंकी के बैठने के लिए एक बड़ी सी दरी बिछवा दी थी और लोगों से कहकर चिंकी के लिए खाने पीने की व्यवस्था भी करवा दी थी।

 खाने पीने के बाद चिंकी ने पूछा, "आपने बताया नहीं?? उन विचित्र जानवरों के बारे में??"

 देव ने एक गहरी सांस लेकर कहा, "हमारे आयाम में नीले रंग का सूर्य उदित होता है इसीलिए इसे नीलाक्षल कहते हैं।  बहुत साल पुरानी बात है.. उस समय मेरे पिताजी यहां के राजा थे। जल्दी ही मेरा राज्याभिषेक होने वाला था। सभी लोग बहुत खुश थे और राज्याभिषेक की तैयारियों में लगे हुए थे। तभी एक मनहूस दिन एक बड़ा सा विस्फोट हुआ। उस विस्फोट में हमारे बहुत सारे मित्र और उनके परिवारजन मारे गए थे। उस विस्फोट से एक दरवाजा बन गया था।

 दरवाजे से बहुत से अजीब जीव हमारे नीलाक्षल में आ गए थे। यहां आते ही उन्होंने भारी उत्पात मचा दिया था। बहुत सारी गिलहरियों को वो लोग लो कच्चा चबा गए थे। और तो और उन्होंने हमारे घर भी तोड़ डाले थे। हम सभी जादू में कुशल है। हमारे पिताजी ने जब देखा कि उन जानवरों ने पेड़ों को कोई हानि नहीं पहुंचाई थी तो मेरे पिता के सुझाव पर सभी ने मिलकर पेड़ के भीतर हमारी दुनिया को समेटकर बसा लिया। उसी के अंदर हम लोग एक एक पेड़ में अपना घर बनाकर रहने लगे हैं।"

"आप लोगों ने उन जानवरों को आने से नहीं रोका?" चिंकी ने पूछा।

"हम सबने मिलकर बहुत कोशिशें की पर हम रोक नहीं पाए। तब मेरे पिताजी ने हमारे आयाम के देवता नील स्वामी की कठोर तपस्या की। उन्होंने ही हमें बताया था कि भविष्य में कोई कन्या यहाँ आएगी और इस संकट से निपटने में हमारी सहायता करेगी।" देव ने कहा।

"तो अब क्या करेंगे हम? हमें तो पता ही नहीं कि करना क्या है?" चिंकी ने मायूसी से कहा।

"आप थोड़ी देर आराम करो हम अभी पता करके आते हैं। उसके बाद हम सारी बाते आपको बता देंगे।" देव ने कहा और चीकू को साथ लेकर चला गया। चिंकी वही दरी पर लेट गई और आराम करने लगी।

थोड़ी देर बाद देव ने आकर चिंकी को जगाया और कहा, "हमने सब कुछ पता कर लिया है। आपको शीघ्र अति शीघ्र वापस अपने आयाम जाना होगा। वहीं पर आपको कोई मनुष्य मिलेगा जो इसमें आपकी सहायता कर सकता है। उसके साथ साथ आपको उस लोहे के बक्से के विषय मे और पता लगाना होगा..जिससे विचित्र जीव अपना आवागमन करते हैं। उससे से पता लगाना होगा कि वह डिब्बे कहां कहां जाते हैं और वह जीव किन-किन स्थानों से वहां पर पहुंचते हैं? वहां की विशेषताएं और कमजोरियां पता लगानी होंगी? उसी के बाद उन लोगों का आना जाना बंद हो सकता है।"

 देव की बात सुनकर चिंकी बहुत ज्यादा टेंशन में दिखने लगी थी। चिंकी को परेशान देखकर देव ने पूछा, "क्या हुआ आपको? कोई समस्या..?"

 चिंकी ने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा, "जी.. एक प्रश्न था!"

 देव ने अपनी गर्दन हां में हिलाई तो चिंकी ने पूछा, "यह सब आपको कैसे पता चला?"

 "हमने हमारे आयाम देव नील स्वामी से यह सब कुछ पता किया था। उन्होंने ही हमें बताया कि आपके वहां कोई मनुष्य एक अनुष्ठान करने वाला है। जिसके कारण यह सब कुछ समाप्त हो सकता है। उसमें आपकी भी अहम भूमिका होगी।" देव ने नील स्वामी की बताई गई जानकारियां चिंकी को अच्छे से समझाई।

 चिंकी अभी भी और कुछ जानना चाहती थी इसीलिए चिंकी ने पूछा, "आप हमारी थोड़ी सी और मदद कर दीजिए। यह पता लगा दीजिए कि ट्रेन और कौन से दो स्टेशन पर रूकती है? वहां किस तरह के जीव रहते हैं? किस तरह से उनका आना-जाना रुक सकता है?"

 चिंकी के सवाल से देव सोच में पड़ गए थे। उन्होंने कहा, "मैं नील स्वामी से बात कर सकता हूं। अगर वह चाहे तो आपकी सहायता कर सकते हैं। यदि उन्होंने मना कर दिया तो मैं आपकी कोई सहायता नहीं कर पाऊंगा।"

 चिंकी ने जल्दी से कहा, "बिल्कुल आप नील स्वामी से बात कर लीजिए। अगर वह हमारी सहायता के लिए तैयार हो जाए तो!!"

 देव ने चिंकी की बात मान ली और तुरंत ही वहां से चला गया। थोड़ी ही देर बाद जब देव वापस लौटा तो वह बहुत ही ज्यादा दुखी दिखाई दे रहा था। चिंकी ने घबराकर पूछा, "क्या कहा नील स्वामी ने?? क्या वह मेरी मदद करने के लिए तैयार हैं??"

 देव ने अपनी गर्दन ना में हिला दी। तभी चिंकी ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा, "आप एक काम करिए। आप मुझे उनके पास ले चलिए। मैं उनसे रिक्वेस्ट करूंगी यह वह मेरी हेल्प कर दे।"

 देव भी चाहता था कि नील स्वामी चिंकी की सहायता करें। तो देव चिंकी को लेकर नील स्वामी के पास चला गया।

देव चिंकी को लेकर एक बहुत ही बड़े मैदान में चला गया। जहां तक नजर जा रही थी वहां तक जमीन में लाल रंग की घास फैली हुई थी। पैरों के कारण घास दब रही थी और उससे एक बहुत ही मधुर और मनमोहक संगीत बज रहा था। चिंकी देव के पीछे पीछे आगे बढ़ रही थी। थोड़ी देर बाद देव और चिंकी मैदान के बीचो बीच पहुंच गए थे।

 वहां पहुंचकर देव ने एक विशेष मुद्रा में अपने हाथ जोड़े और एक घुटना जमीन पर टिकाकर बैठ गया और प्रार्थना करने लगा, "नील स्वामी..!! आपने अब तक हमारे आयाम में आने वाली हर समस्या को दूर करने में हमारी मदद की है। यह चिंकी हमारे आयाम की एक बहुत बड़ी समस्या को दूर करने में हमारी सहायता करना चाहती है। जिससे इनके पृथ्वी पर भी आने वाला बड़ा संकट टल जाए। आप हमारी सहायता कीजिए।"

 देव को देखकर चिंकी भी वैसे ही एक घुटना जमीन पर रखकर और दूसरे घुटने को मोड़कर बैठ गई और हाथ जोड़कर बोलने लगी, "नील स्वामी जी..! आप तो सब कुछ जानते ही हैं। मैं बस जो भी कुछ कर रही हूं वह मेरी दोस्त प्रिया के साथ साथ ट्रेन की बहुत सी आत्माओं को मुक्ति दिलाने और भवानीपुर में जितने भी विचित्र जीव आ जा रहे हैं उनको आने से रोकने के लिए कर रहीं हूं। उनकी वजह से बहुत लोगों को अपने घरवालों को खोना पड़ा है। मैं नहीं चाहती कि और लोग भी अपने घर वालों से दूर हों। मैं यह सब कुछ बंद करवाना चाहती हूं। यहां आकर मुझे पता चला कि आप इसमें हमारी हेल्प कर सकते हैं। प्लीज इसमें हमारी हेल्प कर दीजिए।"

शायद  चिंकी की बातों में नील स्वामी को सच्चाई नजर आई थी। इसीलिए थोड़ी देर बाद वहां पर एक बड़ा सा नीला प्रकाश पुंज प्रकट हुआ। उसके प्रकट होते ही देव अपना सर जमीन पर रखकर प्रार्थना करने लगा। चिंकी ने भी देव की देखा देख अपना सर जमीन पर रख दिया।

 तभी वहां एक आवाज आई, "हमें पता है कि तुम इस सब को रोकना चाहती हो। हम जानते हैं कि तुम्हारा प्रयोजन परमार्थ के लिए है। इसीलिए हम तुम्हारी सहायता करने के लिए तैयार हैं।"

 नील स्वामी की बात सुनते ही चिंकी और देव ने अपने हाथ जोड़कर कहा, "आपकी बहुत-बहुत कृपा होगी।"

 तभी नील स्वामी ने एक विचित्र भाषा में कुछ कहना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद वह प्रकाश पुंज वहां से गायब हो गया। देव के चेहरे पर एक मुस्कान दिखाई दे रही थी। वहीं  चिंकी कंफ्यूज लग रही थी।

 इससे पहले कि चिंकी देव से कोई सवाल करती.. देव ने कहा, "चलिए घर चल कर बात करते हैं। मैं वहीं पर आपको सबकुछ समझा दूंगा।"

 चिंकी ने उस समय देव के साथ जाना ही ठीक समझा। देव और चिंकी दोनों ही देव के घर पहुंच गए। चिंकी से सब्र नहीं हो रहा था। इसीलिए चिंकी ने हड़बड़ाहट और जल्दबाजी से पूछा, "बताइए देव..!! क्या कहा नील स्वामी ने??"

देव ने चिंकी को बैठने का इशारा करते हुए कहा, "नील स्वामी ने बताया है कि जिन और दो जगहों के बारे में आपको जानकारी निकालनी है.. वो है तप्तांचल और चण्डोली!! इन्हीं दो जगहों से वो जीव हमारे और आपके आयामों में आ रहे हैं।"

"ये कैसे अजीब नाम है।" चिंकी ने मुँह बनाते हुए कहा।

"बिल्कुल सही कह रही हैं आप। ये दोनों जगहें अपने नामों की तरह ही विचित्र है। तप्तांचल में  बाहर अंधेरा ही दिखाई देता है.. पर वह अंधेरा भी अंधेरे जैसा नहीं है.. वह एक धुंधला सा.. कोहरे भरा माहौल है.. जिसमें दृश्यता तो है.. पर इतनी कम... मानो आसपास किसी ने बहुत ही बड़े क्षेत्र में आग जलाकर पानी उबालने रख दिया हो।  पानी की भाप.. लकड़ियां जलने का धुआं.. सब कुछ मिलाजुला.. ऐसा है तप्तांचल..!!" देव ने एक लम्बी साँस लेकर कहा।

देव की बात सुनकर चिंकी को ऐसा लगा जैसे वह उसी समय में पहुंच गई थी जब चिंकी ने ट्रेन से उस जगह को देखा था। यही वह दूसरा स्टेशन था जहां से वह धुएं वाले जीव ट्रेन में चढ़े थे। बड़ी मुश्किल से प्रिया ने चिंकी को उनसे बचाया था।

 तभी देव ने आगे कहा, "और दूसरा स्थान है चण्डोली..!! उस स्थान के बारे में कुछ भी कहना अनुचित ही होगा। आज तक भी उस जगह के बारे में किसी को भी अच्छे से जानकारी नहीं है। नील स्वामी ने भी केवल इतना बताया है कि चण्डोली के राजा में समय को भी अपने हिसाब से घुमाने की काबिलियत है। समय भी चण्डोली महाराज के ही इशारे पर चलता है। जब वह चाहे समय को पल में तेज और पल में धीरे कर सकते हैं। वो एक बहुत ही खुफिया जगह है। वहाँ पर हर समय सूर्य का प्रकाश रहता है.. कभी भी शाम या रात नहीं होती। उन्होंने सूर्य की ऊर्जा से अपने आपको इतना शक्तिशाली बना लिया है कि उनमें अपने आपको भी प्रकाश की ही एक किरण में बदलने की सामर्थ्य है।"

चिंकी मुँह खोले आश्चर्य से देव की बातें सुन रही थी। देव के बोलना बंद करने के कुछ समय बाद तक भी चिंकी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या और कैसे कुछ बोले? पर अभी देव से काफी जानकारियां मिल रही थी तो कुछ भी मन में रखना ठीक नहीं होगा यही सोचकर चिंकी ने पूछा, "क्या कोई भी ऐसा नहीं जो मुझे चण्डोली के बारे में और अधिक जानकारी दे सके?"

देव ने लाचारी से कहा, "नहीं..! हम चाहकर भी आपकी और सहायता नहीं कर सकते। चण्डोली के बारे में कुछ भी जानना या बोलना हमारे आयाम के लिए उचित नहीं है। फिर भी आप हमारे आयाम से उन सभी दुष्ट जीवों का आतंक समाप्त करने की कोशिश कर रही हैं तो मैं भी आपकी कर सम्भव सहायता करूंगा। फ़िलहाल आप कुछ समय विश्राम कर लीजिए फिर आपके प्रस्थान की बेला है।"

"ट्रेन वापस आने वाली..??" चिंकी ने आश्चर्य से पूछा।

"अभी तक तो नहीं। पर इस बार आप उस ट्रेन के प्रयोग से नहीं जाएंगी बल्कि आपका कार्य शीघ्र हो इसीलिए ही हमने आपकी सहायता के लिए कुछ सोचा है। आपके पास इस कार्य के लिए समय का अभाव है।" देव ने बातें गोल गोल घुमाते हए कहा।

चिंकी को देव की बात समझ में नहीं आई थी लेकिन फिर भी चिंकी को इतना समझ में आ गया था कि जो भी कुछ हो रहा था उसे जल्द से जल्द खत्म करना होगा नहीं तो शायद इसे खत्म करना असंभव होगा। चिंकी वही दरी पर लेट कर आराम करने लगी।

 लगभग 1 घंटे बाद देव वहां आया और चिंकी को लेकर चला गया। चिंकी के साथ-साथ चीकू भी जा रही थी। चीकू और चिंकी की काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी यही कारण था कि चीकू भी चिंकी को विदा करने जाना चाहती थी। देव चिंकी को लेकर अपने पेड़ से बाहर निकला जिसमें देव का घर था। और फिर उस पेड़ से चिंकी, चीकू और देव बाहर निकले जिस पेड़ के अंदर उन्होंने अपनी पूरी दुनिया बसाई हुई थी।

 बाहर आने के बाद देव ने चिंकी को अपने पीछे आने का इशारा किया और खुद जहां पर ट्रेन आती थी वहां पर चल दिया। वहाँ पहुँचकर देव ने उसी जगह खड़े होकर  अपने मन ही मन कुछ मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया। कुछ देर के मंत्र जाप के बाद वहां पर एक बड़ा सा प्रकाश द्वार दिखाई देने लगा। जिसे देखकर चिंकी बहुत ज्यादा आश्चर्यचकित हो गई थी।

 चिंकी ने पूछा, "देव जी..! यह क्या है??"
 देव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "इसे आयाम द्वार कहा जाता है। इस आयाम द्वार से एक आयाम से दूसरे आयाम तक जाने के लिए रास्ते का निर्माण होता है। वैसे तो एक आयाम से दूसरे आयाम जाना असंभव है। क्योंकि कई बार हम जिस जगह रहते हैं वहीं पर हमारी जानकारी के बिना कई आयाम रहते हैं। एक विशेष द्वार के प्रयोग से ही एक आयाम से दूसरे आयाम जाना संभव है।"

 देव की बात खत्म करते ही चिंकी ने कहा, "अगर ऐसा है तो आप लोग खुद क्यों उन जानवरों का आना बंद नहीं करवा देते? जब आप आयाम द्वार बनाना जानते हैं तो फिर उसको बंद करना आप लोगों के लिए कौनसी मुश्किल बात है?"

चिंकी की बात सुनकर देव बहुत ही ज्यादा दुखी हो गया था। देव की ऐसी हालत देखकर चिंकी को भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन कुछ ऐसे सवाल थे जिनके जवाब अगर अभी नहीं लिए जाते तो भविष्य में भी उन सवालों के जवाब जानना संभव नहीं होता। चिंकी अभी भी सवालिया नजरों से देव की तरफ देख रही थी।

तभी देव ने कहा, "तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो। हम लोगों में भी आयाम द्वार बनाने की क्षमता नहीं है।"

 "तो फिर यह कैसे बनाया??"  चिंकी ने देव की बात काटते हुए कहा।

 देव ने एक नजर चीकू की तरफ डाली और फिर कहा, "बहुत साल पहले इसी जगह पर वह आयाम द्वार खुला था। इसी द्वार से बहुत सारे जीव हमारे आयाम में प्रवेश करने लगे थे। मेरे पिता ने बहुत ही ज्यादा कोशिश की कि इस द्वार को बंद किया जा सके। लेकिन वह नहीं कर पाए। तभी नील स्वामी की आज्ञा से उन्होंने इस द्वार को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए अपने प्राण त्याग दिए। नील स्वामी ने भी मेरे पिता के बलिदान का मान रखते हुए इस द्वार को बंद करवा दिया था। लेकिन एक दिन फिर से तुम्हारी उस ट्रेन ने हमारी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। अभी जहां पर हम खड़े है इसी स्थान से तुम्हारी ट्रेन भी उस दूसरे आयाम में प्रवेश करती है। जब तक उस ट्रेन का आना जाना बंद नहीं होता। तब तक इस आयाम द्वार को बंद करना हमारे लिए भी संभव नहीं है। हम चाहे अपनी समस्त प्राण शक्ति से इस द्वार को बंद करने का भी प्रयास करें लेकिन जब वो ट्रेन अंदर से किसी दूसरे आयाम में चली जाएगी। तब तो हम चाह कर भी उसे रोक नहीं पाएंगे। यही कारण था कि आज तक हम उस ट्रेन का आना जाना और उन विचित्र जीवों का हमारी धरती पर आना बंद नहीं करवा पाए। उन्हीं के भय की वजह से हम लोग एक पेड़ के अंदर अपनी समस्त दुनिया बसा कर रहने के लिए बाध्य हैं।"

 चिंकी को अब पूरी बात समझ में आ गई थी। चिंकी ने मुस्कुराते हुए देव को हाथ जोड़ते हुए कहा, "आपने जितनी भी मेरी सहायता की है उसके लिए धन्यवाद शब्द बहुत छोटा है। लेकिन फिर भी अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो क्षमा कर देना। मैं कोशिश करूंगी कि जल्द से जल्द ट्रेन का आना जाना बंद हो जाए। ताकि आप लोग भी बिना किसी डर के अपनी इस दुनिया में आराम से रह सके।"

 चिंकी के आश्वासन पर देव भी बहुत खुश हो गया था। तभी देव को कुछ याद आया और वह एक पल के लिए मौन हो गया। देव के मौन होने के बाद चिंकी चीकू से बातें करने लगी। चीकू भी बहुत खुशी-खुशी चिंकी से बातें कर रही थी। 

थोड़ी देर बाद देव ने अपनी आंखें खोली और एक बहुत ही ज्यादा चमकदार रत्न जड़ित अंगूठी चिंकी को देते हुए कहा, "तुम हमारे लिए इतना कुछ कर रही हो.. इसलिए यह छोटी सी भेंट। अगर तुम किसी भी संकट में फंस जाओ या फिर मुझे कहीं पर बुलाना चाहो तो इस अंगूठी में लगे छल्ले को घुमा देना। उसे घुमाते ही मुझे पता चल जाएगा कि तुम्हें सहायता की आवश्यकता है। उस समय मैं कहीं भी होऊँगा तुम्हारे पास पहुंचने का प्रयास करूंगा।"

 देव का यह आश्वासन चिंकी के लिए एक वरदान साबित हुआ था। चिंकी का मानना था कि जब ऐसे छोटे-छोटे जीव हमारी सहायता करने के लिए तैयार हो गए हैं तो इस संकट से बचने के लिए कोई ना कोई रास्ता निकल ही जाएगा।

 देव से अंगूठी लेकर चिंकी ने अपनी उंगली में पहन ली और जैसे ही आयाम द्वार के दूसरी तरफ जाने के लिए अपना पैर बढ़ाया.. उसके पीछे से कुछ लोगों के चिल्लाने की आवाज आई और तभी देव ने कहा, "इन्हें पकड़कर रखो..!! हम चिंकी को विदा करके इन्हें देखते हैं।"

आवाज़ सुनकर चिंकी ने पीछे पलटकर देखा। बंदी बनाए हुए लोगों को देखकर चिंकी के कदम वहीँ के वहीँ रुक गए।

क्रमशः...

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5 Comments

Fareha Sameen

29-Mar-2022 06:18 PM

Buhat ache

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Punam verma

28-Mar-2022 03:47 PM

बहादुर और समझदार बच्ची । और कितना सुन्दर लिखती हैं आप very nice mam

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Aalhadini

29-Mar-2022 03:09 PM

Thank you so much 🙏 aapko story pasand aai yhi bahut h mere liye 🙏

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Gunjan Kamal

27-Mar-2022 08:43 AM

Very nice 👍🏼

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Aalhadini

27-Mar-2022 02:11 PM

Thanks 😊 🙏

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